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जिले के सभी आँगनवाड़ी केन्द्रों पर मना अन्नप्राशन दिवस, 6 माह के बच्चों को दिया गया पूरक आहार,पूरक आहार पर दी गयी जानकारी,धात्री माताओं को शिशु कुपोषण पर किया गया जागरूक*

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*जिले के सभी आँगनवाड़ी केन्द्रों पर मना अन्नप्राशन दिवस, 6 माह के बच्चों को दिया गया पूरक आहार,पूरक आहार पर दी गयी जानकारी,धात्री माताओं को शिशु कुपोषण पर किया गया जागरूक*

धीरज गुप्ता की रिपोर्ट गया बिहार

गया  जिले के सभी आँगनवाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया है और इस अवसर पर सभी आँगनवाड़ी केन्द्रों पर 6 माह के बच्चों को पूरक आहार  दिया गया एवं   शिशु के 6 माह पूरे होने के बाद उनके बेहतर पोषण के लिए जरुरी पूरक पोषाहार के विषय में जानकारी भी दी गयी है जिले के टंकुप्पा  प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-52 पर भी अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया है पोषक क्षेत्र के लाभुक सावत्रि कुमार एवं के 9 प्र्तिभा कुमारी  माह के शिशु को खीर खिलाकर इसकी शुरुआत की गयी है इस दौरान अन्य धात्री माताओं को भी पूरक आहार  के विषय में एवं साफ़- सफाई के बारे में जानकारी दी गयी है साथ ही धात्री माताओं को उबली हुई सब्जी, दलिया एवं अन्य पूरक आहार भी दिया गया है केंद्र की सेविका रेणु कुमारी ने बताया कि बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए 6 माह तक का सिर्फ स्तनपान एवं इसके बाद स्तन पान के साथ पूरक आहार  बहुत जरुरी होता है 6 माह से 23 माह तक के बच्चों के लिए यह अति आवश्यक है।6 से 8 माह के बच्चों को दिन भर में 2 से 3 बार एवं 9 से 11 माह के बच्चों को 3 से 4 बार पूरक आहार के साथ 12 माह से 2 साल तक के बच्चों को घर में पकने वाला भोजन भी देना चाहिए और इस दौरान शरीर एवं दिमाग का विकास तेजी से होना शुरू होता है जिसके लिए स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की भी जरूरत होती हैं और उन्होंने बताया कि इसके लिए नियमित रूप से धात्री माताओं को इसके विषय में जानकारी दी जाती है एवं पूरक पोषाहार भी वितरित किया जाता है।ऐसे दें बच्चों को पूरक आहार: 6 माह से 8 माह के बच्चों के लिए नरम दाल, दलिया, दाल -चावल, दाल  में रोटी मसलकर अर्ध ठोस, खूब मसले साग एवं फल  प्रतिदिन दो बार 2 से 3 भरे हुए चम्मच से देना चाहिए और ऐसे ही 9 माह से 11 माह तक के बच्चों को प्रतिदिन 3 से 4 बार एवं 12 माह से 2 वर्ष की अवधि में घर पर पका पूरा खाना एवं  धुले एवं कटे फल को प्रतिदिन भोजन एवं नास्ते में देना चाहिए।

*पूरक पोषाहार है जरुरी* समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के बेहतर पोषण के लिए पोषाहार वितरित किया जाता है पूरक पोषाहार के विषय में सामुदायिक जागरूकता के आभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं इससे बच्चे की शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास भी अवरुद्ध होता है एवं अति कुपोषित होने से शिशु मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी होती है और इस दौरान आँगनवाड़ी केंद्र की सहायिका के साथ अन्य धात्री माताएं एवं शिशु उपस्थित थे।

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