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गया जिला में 79 फीसदी गर्भवती महिलाअहों को सुरक्षा कार्ड,68 फीसदी बच्चों का होता है टीकाकरण*

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*गया जिला में 79 फीसदी गर्भवती महिलाअहों को सुरक्षा कार्ड,68 फीसदी बच्चों का होता है टीकाकरण*

धीरज गुप्ता की रिपोर्ट गया बिहार

 

गया में सरकारी योजनाओं की मदद से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में जिला स्तर पर किये गये निरंतर प्रयास का असर दिखने रहा है। जिला सहित सामुदायिक स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन का ही परिणाम है कि अब माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य में ​तेजी से सुधार देखने को मिले हैं प्रसव व प्रसव के बाद मांओं और बच्चों की देखभाल सुनिश्चित करना योजना की अहम कड़ी है प्रसव के दौरान गर्भवती की देखभाल पर बल बच्चे के जन्म से पहले और प्रसव के बाद के समय में मां की जरूरी देखभाल महत्वपूर्ण है इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉप्युलेशन स्टडीज व राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के एक आंकड़े के मुताबिक जिला में 57 फीसदी प्रसव अस्पतालों में कराया जाता है आंकड़ों के मुताबिक 79 फीसदी गर्भवती महिलाओं को मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड मुहैया कराया गया है लगभग 39 फीसदी गर्भवती महिलाएं गर्भधारण के तीन महीने के अंदर अस्पताल के जांच केंद्रों पर आवश्यक जांच कराती हैं जबकि बीस फीसदी महिलाएं बच्चों के जन्म देने के समय तक चार बार ही जांच करा पाती हैं जिले में 56 फीसदी बच्चों के जन्म का रजिस्ट्रेशन करा लिया जाता है।स्वच्छता व पोषण दिवस से बदल रही तसवीर

गर्भवती महिलाओं व ​बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वच्छता व पोषण दिवस मनाने पर जोर दिया गया है गर्भवती महिलाओं द्वारा बच्चों के जन्म दिये जाने के बाद उनकी देखभाल के मद्देनजर एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं के बेहतर क्षमतावर्धन को लेकर काम किया गया है गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व आवश्यक जांच व प्रसव के बाद माताओं और बच्चों के देखभाल के संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों चिकित्सा अधिकारियों व क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को भी आवश्यक निर्देश दिये गये हैं 68 फीसदी बच्चों को होता है टीकाकरण शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आवश्यक रूप से बच्चे के जन्म के शुरूआती दिनों में उसकी पूरी देखभाल जरूरी है जिले में 68 फीसदी बच्चों का पूरी तरह से टीकाकरण संभव हो पाता है लगभग आठ फीसदी नवजात की जांच हो पाती है इस दौरान बच्चों के लिए विटामिन ए की खुराक दिया जाना जरूरी है जिला स्तर पर प्रसव पूर्व जांच के फायदों की जानकारी दिये जाने की दिशा में भी काम गया है। प्रखंडों के गांवों में महिलाओं के बीच सुरक्षित प्रसव हमेशा अस्पताल में ही कराये जाने को लेकर जानकारी दी जा रही है साथ ही गर्भावस्था के दौरान होने वाली ​जटिलताओं व मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा की जा रही है।वित्तीय सहायता का भी है प्रावधान गर्भवस्था व प्रसव के दौरान होने वाली माओं व बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर सरकार की कई योजनाओं का क्रियांन्वयन लगातार किया गया है इनमें जननी सुरक्षा योजना भी शामिल हैं जिसके तहत संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं के प्रसव के उपरांत 1200 रूपये व ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं के प्रसव के बाद 1400 रूपये दिये जाते हैं। योजनाओं में जननी शिशु सुरक्षा योजना भी शामिल है जिसके तहत प्रसव के बाद महिला व बच्चे की देखभाल से संबंधित जरूरी सुविधाएं सरकार की ओर से मुहैया कराया जाता हैं इसमें प्रसव के बाद माता को 48 घंटे तक अस्पताल में विशेष मेडिकल सुविधा दिये जाने व नि:शुल्क पौष्टिक भोजन दिया जाना है।

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