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मीडिया के सहयोग से ही मिटेगा गया के माथे से बाल मजदूरी का कलंक*

मीडिया के सहयोग से ही मिटेगा गया के माथे से बाल मजदूरी का कलंक*

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*मीडिया के सहयोग से ही मिटेगा गया के माथे से बाल मजदूरी का कलंक*

धीरज गुप्ता की रिपोर्ट गया बिहार

गया  हमेशा से गया की दुनिया में पहचान तीर्थनगरी के रूप में है मगर हाल के वर्षों में जिले की पहचान बाल श्रमिकों के बड़े ठिकाने के रूप में होने लगी है और इस पहचान से तभी मुक्ति मिल सकती है जब मीडिया भी इसमें सक्रिय भागीदारी निभाएगा। आज ये बातें आज गया के होटल दरबार इंटरनेशनल में आयोजित मीडिया सेमिनार में वक़्ताओं से कही।बाल श्रम के सवाल और जमीनी पत्रकारिता के विषय पर सेंटर डायरेक्ट संस्था और ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क द्वारा आयोजित इस सेमिनार में पटना से संस्था के कार्यकारी निदेशक सुरेश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार पुष्यमित्र ने गया के पत्रकारों से विस्तृत चर्चा की और पत्रकारों ने भी इस मसले पर सहभागी रूप से काम करने की सहमति दी।सुरेश कुमार ने बताया कि इस वक़्त गया में 78, 929 बाल श्रमिक हैं यह संख्या बिहार में सर्वाधिक है उन्होने कहा कि सामूहिक प्रयास से देश में पहली बार एक दलाल को उम्र कैद की सजा दिलायी गयी है जयपुर की अदालत ने गया के दलाल को सजा सुनायी है और इसकी चर्चा पूरे देश में है उन्होने यह भी कहा कि उनकी संस्था जयपुर से अब तक 500 बच्चों को छुड़ा कर लायी है और 300 बच्चों और उनके परिवार के आर्थिक विकास का काम कर रहे हैं ताकि फिर से उन्हें बालश्रम के लिए मजबूर न होना पड़े और इन्होने सभी पत्रकार पुष्यमित्र ने मीडिया के साथियों से अपील की कि वे इस मसले पर लगातार कलम चलायें है उन बच्चों और उनके परिवार वालों की कहानी को सामने लायें जो बाल श्रम के खिलाफ जयपुर जाकर कानूनी लडाई लड़ रहे हैं तमाम खतरों का सामना करते हुए।इस सेमिनार के दौरान तय हुआ कि संस्था और पत्रकार एक दूसरे के साथ जानकारी साझा करेंगे और मिलकर इस कलंक को मिटाएंगे और इस मौके पर गया के विभिन्न अखबारों,टीवी चैनलों और वेब पोर्टलों के पत्रकार उपास्थित थे।

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