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जलपुरुष ने पदाधिकारियों को दिए जल संकट से उबरने के टिप्स*

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*जलपुरुष ने पदाधिकारियों को दिए जल संकट से उबरने के टिप्स*

*नीर, नारी और नदी का करना होगा सम्मान*

धीरज गुप्ता की रिपोर्ट गया बिहार

गया के गया समाहरणालय सभाकक्ष में वाटरमैन डॉ राजेंद्र सिंह ने जिले के सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी,अंचलाधिकारी, प्रोग्राम पदाधिकारी एवं जिला स्तरीय पदाधिकारी को जल संकट से उबरने के टिप्स बताए एवं उन्होंने राजस्थान में किए गए अपने कार्यों को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किए गए हैं उन्होंने कहा कि भारत का असली बैंक भूगर्भ जल है जिसे सुरक्षित करें। उन्होंने कहा कि आज भी देश में आधे से ज्यादा इलाका पानी से जूझ रहा है 17 राज्यों के 365 जिले जल संकट से जूझ रहे हैं जबकि 190 जिले बाढ़ की समस्या से है उन्होंने कहा कि वर्षा का जल से मिट्टी का कटना एवं तीव्र जलधारा के कारण नदी में गाद का जमना इस समस्या का प्रमुख कारण है यदि इसको हम ठीक कर ले तो समस्या समाप्त हो जाएगी और उन्होंने कहा कि वर्षा का जल मिट्टी का कटाव ना कर सके इसके लिए उसे वहीं पर रोकना जरूरी है इसके लिए बड़े बड़े तालाब,आहर,पोखर, कुए बनवाने होंगे एवं धारा के फ्लो को स्लो करना होगा एवं नदी जब गहरी रहती है तो पानी नदी में बहती है और इससे भूगर्भ जल भी रिचार्ज होता है लेकिन नदी में गाद गिरने के कारण यह पानी गांव एवं शहर की ओर चली जाती है जिससे बाढ़ आ जाती है और भूगर्भ जल भी रिचार्ज नहीं होता है उन्होंने कहा कि राजस्थान में वे ग्रामीण और युवकों के सहयोग से 11800 डैम बनवाये हैं 36 वर्षों में 12 नदियों को पुनः जिंदा किया है इसके लिए कार्य करने वालों का पदनाम उन्होंने जल नायक,जल योद्धा,जल प्रेमी,जलदूत,जल सेवक, जल कर्मी का नाम दिया गया है सब के अलग-अलग कार्य होते हैं जननायक पानी के झगड़ा को रोकता है जल योद्धा नदी प्रदूषण करने वालों से निपटता है जलदूत सरकारी जल योजना को पदाधिकारी और गांव वालों को समन्वित कर क्रियान्वित कराता है जल प्रेमी जिलाधिकारी से मिलकर तालाब,कुएं बनवाते हैं जल सेवक उन्हें कहते हैं जो कम पानी में ज्यादा उत्पादन कराते हैं जबकि जल कर्मी वैसे सरकारी अभियंता,जो निस्वार्थ भाव से कार्य करते हैं को कहा जाता है उन्होंने कहा कि पानी की उपलब्धता के आधार पर फसल का चयन करना चाहिए और पहले बिहार में मक्का,अरहर, तोड़िया, ज्वार, बाजरा की खेती होती थी जिसमें पानी की कम आवश्यकता होती है लेकिन अब धान की खेती बढ़ गई है और इसके लिए भूगर्भ जल का अधिक दोहन किया जा रहा है उन्होंने कहा कि हमें अपनी समस्या के समाधान के लिए अपने भगवान का सम्मान करना होगा। *भगवान यानी भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि एवं न से नीर है *साथ ही हमें नीर,नारी और नदी का सम्मान करना होगा* एवं उन्होंने समझाया कि किस तरह से ग्राउंड वाटर और सरफेस वाटर के कारण उस क्षेत्र में परिवर्तन होता है और वर्षा आकर्षित होती है उन्होंने अधिकारी से अनेक सवाल जवाब किए हैं जिलाधिकारी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम में भाग लेने वाले पदाधिकारियों की तारीफ की जिन्होंने पूरी तल्लीनता से जलपुरुष के मार्गदर्शन को सुना है उन्होंने पदाधिकारियो से कहा कि केवल थ्योरी सुनने से नहीं होगा इस थ्योरी को अपने क्षेत्र में लेकर जाना होगा और आम लोगों को इससे जोड़ना होगा तब जाकर इसका लाभ मिलेगा।

इस बैठक में उप विकास आयुक्त  किशोरी चौधरी, सहायक समाहर्ता के एम अशोक,जल तो उसके सहयोगी पंकज मालवीय जगदीश चौधरी जो ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट फरीदाबाद के अध्यक्ष हैं और वर्ल्ड वाटर काउंसिल,फ्रांस के सक्रिय कार्यकर्ता है सभी अनुमंडल पदाधिकारी,सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी,वन विभाग के पदाधिकारी, लघु सिंचाई विभाग एवं अन्य विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित थे

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