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इंसान अपने कर्म और ईमानदारी से जाना जाता हैं, अच्छे कपड़े तो मॉल के पुतले भी पहने रहते हैं ― नितिन कुमार सिन्हा (प्रदेश उपाध्यक्ष, नगर निकाय,जदयू बिहार)

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इंसान अपने कर्म और ईमानदारी से जाना जाता हैं, अच्छे कपड़े तो मॉल के पुतले भी पहने रहते हैं ― नितिन कुमार सिन्हा (प्रदेश उपाध्यक्ष, नगर निकाय,जदयू बिहार)

युवा पत्रकार-अनिल कुमार गया बिहार

इंसान अपने कर्म और ईमानदारी से जाना जाता हैं, अच्छे कपड़े तो मॉल के पुतले भी पहने रहते हैं उक्त बातें कहना हैं ज्ञान एवं मोक्ष के भूमि मगध के गया जिला में एक छोटे से किराए के घर में माता श्रीमती राधा सिन्हा, पिता श्री तारकेश्वर प्रसाद सिन्हा एवं दो बड़ें बहनों के साथ-साथ एक बड़े और एक छोटे भाई के साथ अपने जीवन का शुरुआत करने वाले नितिन कुमार सिन्हा का ।

जिनकी प्राथमिक शिक्षा गया के प्रतिष्ठित विद्यालय नाज़रेथ अकादमी में हुआ एवं आगे की पढ़ाई घर के आर्थिक हालात अच्छा नहीं होने के कारण हरिदास सेमिनरी ,गया से किया , जीवन में तब और मुश्किल मोड़ आया जब इनके घर के एकमात्र कमाने वाले पिता को कैंसर हो गया और जब ये 18 वर्ष के थे तभी उनका निधन हो गया।


एक बड़ा परिवार और जीवन का लंबा सफ़र, मगर कंधे बहुत कमजोर, उम्र बस 18 वर्ष के, मगर हौसले चट्टान से स्थिर और मजबूत।


अपने जीवन का सफ़र इतने कम उम्र में बड़ी जिम्मेदारी के साथ शुरू करना पड़ा क्योंकि घर की जिम्मेदारी सामने दिख रही थी और वो भी बिना किसी आर्थिक सहयोग के, किसी भी काम को बड़ा – छोटा समझे बिना काम को ईमानदारी से उसका सम्मान किया और आ गए व्यापार के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाने और गया में विज्ञापन का काम करने लगे, अपने मिलनसार स्वभाव, हर किसी के मदद को तैयार रहनी की प्रवृत्ति जल्द ही सभी का चहेता बना दिया और ये गया शहर के सड़कों पर बिजली पोल पर छोटे -बड़े दुकानों, हर राजनैतिक दल के नेता ,

अभिनेता का विज्ञापन फ्लैक्स लगवाने लगे, मगर भाग्य को तो इनके ईमानदारी का फल देन था जल्दी ही सभी के सहयोग से ये दिल्ली में अपना फ्लैक्स प्रिंटिंग का कंपनी स्थापित किया और स्वयं के साथ कई और लोगों को खुद के साथ जोड़ा और उनके घर के रौशन करने में लग गए ।
मगर जो बचपन से गरीब और एक साधारण परिवार की जरूरतों को देखा उसको कभी जीवन में भुला नहीं सकें ।
बिहार में अब नीतीश जी ने कमान संभाल लिए था और बिहार भी व्यापार के दृष्टिकोण से अच्छा होते जा रहा था और इन्हें इनकी मिट्टी भी आवाज़ दे रही थी जिसे ये अनसुना नहीं कर सकें और दिल्ली के चकाचौंध छोड़ के ये लौट आये अपने शहर गया में और अपना भाग्य कंस्ट्रक्शन में आजमाया, वो कहते हैं कि एक नाकामयाब को वही मिलता हैं जितना एक कामयाब छोड़ देते हैं ये कथा चरितार्थ इनके जीवन से होता हैं, बहुत कम समय में बहुत जल्दी एक कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई “SHUBH SOURYA INFRASTRUCTURE PVT LTD” और उसी के साथ बना इनका नया छवि और बना गया का पहला चार तल्ला का सुन्दर और मजबूत धरोहर (नन्द एण्ड शुभ अपार्टमेंट ) ,इस बीच पुराने कंस्ट्रक्शन के दिग्गज की नितीन कुमार सिन्हा खटकने लगें और इन्हें क़ानूनी – गैरकानूनी सभी तरह से परेशान करना चाहा, उसमे गया के कई दिग्गज कंस्ट्रक्शन के मालिक, और ग्राहक के रूप में आये परेशान करने वाले बड़े-बड़े स्वजातीय डॉक्टर मगर वो कहते हैं ना जिनके ऊपर हो माँ का साथ और अपनों का सहयोग उसे काल भी नहीं छुता ,मजबूत से सभी को संविधानिक तरीके से जबाब दिया और फिर कहाँ रुकना मजबूर था इनके किस्मत को, जिसने कभी एक किराये के कमरे से अपना जीवन शुरू किया आज बेघरों को उनके सपनों को पूरा करने में लग गए और कंपनियों की झड़ी लग गयी जिसमें
“SAI SHRINKHALA DEVELOPERS PVT LTD”
“SHUBH SOURYA DEVELOPER LLP”
“OLEX INFRASTRUCTURE PVT. LTD”
कंपनी बिहार के कई जिलों गया,दरभंगा, मुजफ्फरपुर और कई अन्य जिले से होते हुए बिहार की राजधानी पटना तक ही नहीं सीमित रही ये भारत की राजधानी और सपनों के शहर दिल्ली तक पहुँच चुका था और अपार्टमेंट, टाऊनशिप , बंगलों जिसमे छोटे से छोटे और बड़े से बड़े व्यक्ति सभी के जरूरतों का ख्याल रखा गया ।


अब अपना घर इनका एक किराये के रूम से गया,पटना, दिल्ली सभी जगह थे, अब चलने को साईकल जो 700₹ के जगह 17000₹ के हो गए,विदेशी लम्बी चार पहिया,दो पहिया गाड़ियां, ऑडी,हार्ले जो बचपन से अपने मन में काशक थी उसको पूरा करते गए, कई गाड़ियाँ तो बिहार में पहली बार लोगों ने इनके चलते ही देखा।
विवाह भी बचपन कि मित्र भावना सिन्हा से हो चुका था और जीवनसाथी भी मित्रवत व्यवहार की व्यवहार कुशल थी, बच्चे (शुभ और नभ) भी आज्ञाकारी हैं। परिवार सम्पूर्ण था और जीवन बहुत तेज़ी से बढ़ने लगा, मगर जीवन में एक अधूरापन था, अपने शुरुआती जीवन के पैसे-पैसे को सोचते रहना कभी 1000₹ – 2000₹ के बिना अपनी जरूरत न पूरा कर पाना मन को अशांत करता रहा ।


अब वक्त था समाज को सशक्त करने और उनकी सेवा करने के तभी जीवनसाथी ने मेरा भरपूर सहयोग दिया और दोनों ने एक माइक्रो फाइनान्स कंपनी ( PAVITRA KUBER NIDHI LTD”) खोल कर 2000 से अधिक लोगों को छोटा-बड़ा आर्थिक मदद कर उनको सशक्त किया और उनके व्यापार में सहयोग किया। जिसका विस्तार आप बिहार के अनेक शहरों में हो चुका है जैसे दरभंगा मधुबनी सासाराम और मुज़फ़्फ़रपुर ।
आज पटना में अपनी अच्छी पकड़ बनने के वजह से सिन्हा के एक आवाज़ पर हजारों युवा सड़कों पर आ जातें हैं और इनके राजनीतिक दल जनता दल यूनाइटेड के रैलियों को चार चांद लगा कर इनके आदर्श श्री नीतीश कुमार जी के हाथों को मजबूत करते हैं ।
एहि सब सामाजिक कारण से आज पटना के ग्रामीण और शहरी इलाकों से इनके और इनके पार्टी के शुभ चिंतक और आम लोग इनके विधानसभा भेजना चाहते हैं ताकि ये और लोगों को सेवा करें और उनकी जरूरतों को सरकार तक सदन के माध्यम से पहुंचा सकें।
मगर इतने पर भी सिन्हा के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया वो आज भी अपने दल के नेता के ऊपर सब छोड़ रखा हैं और कहते हैं कि श्री नीतीश कुमार जी एक कुशल व्यवहार के राजनीतिकर्त्ता हैं, उन्होंने बिहार को कहाँ से कहाँ लाया हैं , वो सब जानते हैं कि किस कार्यकर्ता को कब कहाँ चुनाव में लाना हैं, अगर पार्टी विश्वास जताती हैं वो 100% प्रतिशत चुनाव लडेंगे और पटना के युवा साथियों और सभी वर्ग,समुदाय के सहयोग से चुनाव में जीत भी हासिल करेंगे ।


बाते अभी और हैं बस अंत में एहि कहना इनके लिए उचित होगा कि ये स्वयं को स्वयं के इच्छाशक्ति और आप सभी के स्नेह प्रेम से स्थापित किया हैं और विरोधियों को जबाब दिया हैं, सिन्हा जी आग्रह करते है आप सभी युवा भाई, बहन साथी,मित्र, अभिभावक अपना स्नेह और आशीर्वाद बनाये रखें एहि इनकी ताकत हैं जिससे ये सभी तक पहुंच पाते हैं और उनकी सेवा कर पाते हैं ।

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